होमरूल आन्दोलन पर जो कि परीक्षा की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण है

 आज की विशेष पोस्ट होमरूल आन्दोलन पर जो कि परीक्षा की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण है।

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“होमरूल” शब्द आयरलैंड के एक ऐसे ही आन्दोलन से लिया गया था जिसका सर्वप्रथम प्रयोग श्यामजी कृष्ण वर्मा ने 1905 में लन्दन में किया था। लेकिन इसका सार्थक प्रयोग करने का श्रेय बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट को है| भारत में दो होमरूल लीगों की स्थापना की गयी,जिनमे से एक की स्थापना बाल गंगाधर तिलक ने अप्रैल 1916 में पूना में की थी और दूसरी की स्थापना एनी बेसेंट ने सितम्बर 1916 में मद्रास में की थी।

 होमरूल लीग आन्दोलन के उद्देश्य

स्व-शासन या स्वराज को प्राप्त करना

प्रोत्साहित करना

ब्रिटिश शासन के वास्तविक चेहरे को सामने लाना और ब्रिटिश विरोधी संघर्ष को आन्दोलनों के माध्यम से गति प्रदान करना 

कांग्रेस के सिद्धांतों को बनाये रखते हुए अपने दम पर राजनीतिक गतिशीलता लाना

सरकार में और अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त करना

होमरूल आन्दोलन का परिणाम

स्वतंत्रता आन्दोलन उच्च वर्ग के आन्दोलन से जनांदोलन में परिवर्तित हो गया और स्वतंत्रता संघर्ष को एक नया आयाम मिला

 इस आन्दोलन के परिणामस्वरूप ही 1919 ही मोंटेंग्यु-चेम्सफोर्ड सुधार लाये गए थे

लीग के डोमिनियन सरकार के मॉडल पर आधारित स्व-शासन के उद्देश्य ने राष्ट्रीय आन्दोलन को गति प्रदान की

निष्कर्ष: होमरूल लीग ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहकर ही संवैधानिक माध्यमों से स्व-शासन या होमरूल को प्राप्त करना चाहती थी और इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वे जन को शिक्षित और संगठित करना चाहते थे।

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         धन्यवाद...



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