भारतीय संविधान की रचना
भारत ने संविधान को 26 नवम्बर,1949 को अंगीकार किया।
सम्पूर्ण संविधान 26 जनवरी,1950 को लागु किया गया।
भारतीय संविधान का पिता डॉ. बी. आर. को कहा जाता है।
भारत को 26 जनवरी,1950 ई. को गणराज्य घोसित किया गया।
जब संविधान लागू हुआ तब उसमें 395 अनुच्छेद तथा 8 अनुसूचियाँ थीं।
पहली बार संविधान सभा की अवधारणा, स्वराज पार्टी ने 1935 ई. में प्रस्तावित की थी।
मुस्लिम लीग के हटने के बाद संविधान सभा की सदस्य संख्या 299 थी।
संविधान बनाने के लिए 13 कमेटियाँ गठित की गई थीं।
संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसम्बर,1946 ई. को हुई थी।
9 दिसम्बर, 1946 को प्रथम बैठक के दौरान संविधान सभा का अस्थाई अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा को चुना गया।
संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना के प्रस्तावों के अनुसार किया गुण था।
11 दिसम्बर,1946 ई. को गठित संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को नियुक्त किया गया।
संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण में 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन का समय लगा था।
ब्रिटिश भारत की विधान सभाओं से चुने गए सदस्यों का पार्टीवार ब्यौरा इस प्रकार था:
पार्टी | निर्वाचित सदस्यों की संख्या |
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कांग्रेस | 208 |
मुस्लिम लीग | 73 |
यूनियनिस्ट | 1 |
यूनियनिस्ट मुस्लिम | 1 |
यूनियनिस्ट अनुसूचित जातियाँ | 1 |
कृषक प्रजा | 1 |
अनुसूचित जाति | 1 |
सिख (गैर कांग्रेसी) | 1 |
कम्युनिस्ट | 1 |
स्वतंत्र | 8 |
संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार पद पर श्री बी. एन. रॉव को नियुक्त किया गया था।
संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 ई. को हुई।
संविधान सभा को लागू करने के लिए 26 जनवरी के दिन इसलिए तय किया गया क्योंकि उसी दिन को कांग्रेस ने 1930 में आजादी दिवस के रूप मनाया था।
42 वें अन्विधान संसोधन में 53 अनुच्छेदों एवं 7वीं अनुसूची में संसोधन हुआ।
सर्वोच्च न्यायालय का गठन एवं शक्तियां अमेरिका के संविधान से ली गयी हैं।
22 जुलाई, 1947 ई. को राष्ट्रीय ध्वज अपनाया गया था।
24 जनवरी, 1950 ई. को राष्ट्रीय गान अपनाया गया था।
24 जनवरी, 1950 ई. को ही राष्ट्रीय गीत भी अपनाया गया था।
24 जनवरी, 1950 ई. को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में चुना गया।
डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने संविधान सभा में 4 नवम्बर,1948 ई. को संविधान सभा का अन्तिम प्रारूप पेश किया।
केशवानन्द भारती बनाम केरल राज्य निर्णय के अनुसार प्रस्तावना संविधान का आधारभूत अंग मन गया है।
सर्वप्रथम 1934 ई. में स्वराजदल ने भारतीयों के लिए एक संविधान सभा की माँग की थी।
1935 ई. में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार भारत के संविधान निर्माण के लिये आधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की थी।
अगस्त प्रस्ताव 1940 ई. में पहली बार संविधान सभा की मांग को ब्रिटिश राज द्वारा स्वीकार किया गया।
क्रिप्स प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से संविधान सभा की रूप रेखा की बात कही गयी है।
1946 ई. मन्त्रिमण्डलीय शिष्ट मण्डल ने अपनी योजना के अन्तर्गत वर्तमान संविधान की संरचना बनाई थी।
भारत में विधान परिषद का विकास | |
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पृथक विधान परिषद का गठन | चार्टर एक्ट |
विधान परिषद में भारतीय सदस्य | इंडियन काउंसिल एक्ट,1861 |
विधानसभा में प्रश्न पूछने का अधिकार एवं बजट की आलोचना का अधिकार | इंडियन काउंसिल एक्ट,1892 |
पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार, बजट पर पूर्ण बहस का अधिकार, मतदान द्वारा निर्वाचन | इंडियन काउंसिल एक्ट,1909 |
प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली का आरंभ, केंद्रीय व्यवस्थापिका, द्विसदनीय मतभेद स्थिति में संयुक्त अधिवेशन | भारत सरकार अधिनियम,1919 |
संघीय संविधान, 6 प्रान्तों में द्विसदनीय व्यवस्थापिका | भारत सरकार अधिनियम,1935 |
भारतीय संविधान का भाग–1, प्रथम अनुसूची (अनुच्छेद 1 से 4) संघ और राज्य क्षेत्र से सम्बंधित है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 के अनुसार , "इण्डिया अर्थात भारत, राज्यों का संघ होगा।"
भारतीय संविधान का अनुच्छेद-3, वर्तमान राज्य क्षेत्रों में नए राज्यों के निर्माण के विषय में व्याख्या करता है।
« राज्यों के पुनर्गठन के अध्ययन के लिए गठित आयोग»
एस. धार आयोग (1948) – न्यायमूर्ति एस. के.धार।
जे. पी. बी. आयोग पं. नेहरू, सरदार पटेल,पट्टाभि सितारमैय्या।
राज्य पुनर्गठन आयोग (1953) – फज़ल अली, एच. एन. कुँजरू एवं के.एम. पनिक्कर।
«राज्यों का पुनर्गठन»
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद रियासतों और ब्रिटिश शासित भारतीय रियासतों का विलय कर दिया गया।
आन्ध्र प्रदेश के भाषाई आधार पर गठन के बाद दिसम्बर, 1953 ई. को फज़ल अली की अध्यक्षता में नए राज्यों के गठन के बारे में एक आयोग का गठन किया गया।
बाद में फज़ल अली आयोग की सिफारिशों ने राज्य पुनर्गठन अधिनियम,1956 ने राज्यों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।
इसके आधार पर 14 राज्यों और 6 संघ शासित प्रदेशों का निर्माण हुआ।