What is the Indian Constitution amendment ?

Indian Constitution Amendment

भारतीय संविधान संशोधन क्या है ?

संविधान संशोधन से संबंधित प्रश्न लगभग सभी परीक्षाओ जैसे SSC , UPSC , RAILWAY , BANK इत्यादि परीक्षाओ में पूछे जाते है इस पोस्ट में संविधान में हुए संपूर्ण संशोधन के बारे में बताया गया है जिसमे विश्व के अन्य संविधानों के समरूप ही भारतीय संविधान में भी बदलती परीस्थितियों एवं आवश्यकताओं के अनुसार संशोधन या बदलाव करने का प्रावधान किया गया है ।

Table of Content :
भारतीय संविधान में कुल 126 संसोधन विधयेक का प्रस्ताव रखा गया है जिसमे अब तक 105 संशोधन को मंजूरी दिया गया है जो निम्नलिखित है।

संविधान के भाग 20 का अनुच्छेद 368 संसद को संविधान तथा इसकी प्रक्रियाओं को संशोधित करने की शक्तियाँ प्रदान करता है । अनुच्छेद 368 में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार संसद संविधान में नये उपबंध जोड़कर या किसी उपबंध को हटाकर या बदलकर संविधान में संशोधन कर सकती है । हालाँकि संसद संविधान के मूल प्रारूप या ढांचा से जुड़े प्रावधानों में संशोधन नहीं कर सकती है । मूल प्रारूप से जुड़े इस सिद्धांत को सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती वाद ( वर्ष 1973 ) में प्रतिपादित किया था ।

भारतीय संविधान में हुए संशोधन
संविधान ( पहला संशोधन ) अधिनियम , 1951 - इस संशोधन अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 15 , 19 , 85 , 87 , 174 , 176 , 314 , 342 , 374 और 376 में संशोधन किये गये तथा दो नये अनुच्छेद 31 - क तथा 31 - ख और नवीं अनुसूची को संविधान में अनुच्छेद 31 ( क ) को जोड़कर जमींदारी प्रथा के उन्मूलन को वैधानिकता प्रदान जोड़ा गया । इस संशोधन अधिनियम द्वारा . किये गये मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं -
  • अनुच्छेद 31 ( ख ) जोड़कर यह प्रावधान किया गया कि संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल किये गये अधिनियमों की वैधानिकता को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है ।
  • अनुच्छेद 19 ( 2 ) में संशोधन करके लोक व्यवस्था , विदेशी राज्यों से मैत्री सम्बन्ध तथा अपराध के उद्दीपन के आधार पर वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर रोक लगायी गयी ।
  • अनुच्छेद 15 ( 4 ) को जोड़कर सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए लोगों के सम्बन्ध में विशेष कानून निर्माण हेतु राज्य को अधिकार दिया गया ।
संविधान ( दूसरा संशोधन ) अधिनियम , 1952 - इस संशोधन अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 81 ( 1 ) ( ख ) में संशोधन करके 1951 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या निश्चित की गयी । संविधान ( तीसरा संशोधन ) अधिनियम , 1954 - इस अधिनियम द्वारा संविधान की सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची ( समवर्ती सूची ) की प्रविष्टि 33 में विस्तार किया गया , जिससे आवश्यकता पड़ने पर संघ सरकार आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन , आपूर्ति तथा वितरण के सम्बन्ध में कानून बना सके । संविधान ( चौथा संशोधन ) अधिनियम , 1955 - इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 31 , .31 - क तथा 305 में संशोधन करके यह व्यवस्था की गयी कि यदि राज्य सार्वजनिक प्रयोजन के लिए कानून द्वारा किसी व्यक्तिगत सम्पत्ति के अर्जन के लिए प्रतिकर निर्धारण का अधिकार प्राधिकारी को प्रदान कर दे , तो प्राधिकारी द्वारा निर्धारित प्रतिकर को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है । संविधान ( पांचवाँ संशोधन ) अधिनियम , 1955 - इस संविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 3 में संशोधन करके यह व्यवस्था की गयी कि राज्यों की सीमा में परिवर्तन करने के सम्बन्ध में राज्य विधान सभा को अपनी राय प्रकट करने का जो अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त है , उसके बारे में राय प्रकट करने का समय राष्ट्रपति द्वारा निश्चित कर दिया जाये और यदि राष्ट्रपति द्वारा विहित समय सीमा के अन्तर्गत राज्य विधान सभा अपनी राय न दे , तो संसद उस सम्बन्ध में कानून बना सकती है । संविधान ( छठवाँ संशोधन ) अधिनियम , 1956 - इसके द्वारा संविधान की सातवीं अनुसूची की प्रथम सूची ( संघ सूची ) में संशोधन करके एक नयी प्रविष्टि 92 - क को जोड़ा गया और इसके द्वारा केन्द्र को अन्तर्राज्यिक क्रय तथा विक्रय के सम्बन्ध में कानून बनाने का अधिकार दिया गया ।
  • इसके अतिरिक्त इस संशोधन द्वारा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि की गयी तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को उच्चतम न्यायालय में वकालत करने की अनुज्ञा दी गयी ।
संविधान ( सातवाँ संशोधन ) अधिनियम , 1956 - इसके द्वारा संविधान की प्रथम अनुच्छेद सूची में संशोधन करके राज्यों को 14 राज्यों तथा 6 संघ राज्य क्षेत्रों में पुनर्गठित किया गया । संविधान ( आठवाँ संशोधन ) अधिनियम 1960 - अनुसूचित जाति एवं जनजाति को आरक्षण व्यवस्था में विस्तार और आंग्ल भारतीय प्रतिनिधि की लोकसभा एवं विधानसभाओं में दस वर्ष के लिए वृद्धि अर्थात् 1970 ई . तक बढ़ा दिया गया । संविधान ( नौवाँ संशोधन ) अधिनियम , 1960 - इस संशोधन द्वारा भारत - पाकिस तान के मध्य भूमि हस्तान्तरण के लिए किये गये समझौते को कार्यान्वित करने के लिए भारत के भू - भाग को हस्तान्तरित करने का अधिकार दिया गया । संविधान ( दसवाँ संशोधन ) अधिनियम , 1961 - इस संशोधन के अंतर्गत भूतपूर्व पुर्तगाली अंत : क्षेत्रों दादरा एवं नगर हवेली को भारत में शामिल कर उन्हें केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया । संविधान ( 11 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1961– इस संशोधन द्वारा प्रावधान किया गया कि –
  • राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि निर्वाचक मण्डल अपूर्ण है , तथा
  • उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाना आवश्यक है ।
संविधान ( 12 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1962 - इस संशोधन द्वारा गोवा , दमन तथा दीव को भारत का संघ राज्य क्षेत्र घोषित किया गया । संविधान ( 13 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1962 - इसके द्वारा नगालैण्ड को राज्य की श्रेणी में रखकर संविधान की प्रथम अनुसूची में शामिल किया गया तथा संविधान में अनुच्छेद 371 - क को अन्तः स्थापित करके नागालैण्ड के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान किया गया । संविधान ( 14 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1962 - इसके द्वारा पाण्डिचेरी ( पुदुचेरी ) को भारत का अंग तथा संघ राज्य क्षेत्र में विधान सभा तथा मन्त्रिपरिषद् की स्थापना का अधिकार दिया गया और अनुच्छेद 239 - क जोड़कर पॉण्डिचेरी के लिए विधान सभा तथा मन्त्रिमण्डल के गठन हेतु प्रावधान किया गया । संविधान ( 15 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1963 - इसके द्वारा उच्च न्यायालयों की अधिकारिता में वृद्धि की गयी तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु को 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दिया गया । संविधान ( 16 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1963 – इस संशोधन द्वारा निम्नलिखित ―
  • राज्य की सम्प्रभुता तथा अखण्डता , की रक्षा हेतु राज्य मूलाधिकारों पर युक्तियुक्त निर्बन्धन लगा सकता है ,
  • किसी भी राज्य के भारत संघ पृथक होने तथा संघ को भंग करने के प्रयास को अवैध घोषित कर दिया।
  • संसद तथा राज्य विधान मण्डल के सदस्यों को भारत की अखण्डता बनाये रखने के तथा प्रभुत्व सम्पन्नता की रक्षा की शपथ ग्रहण करनी होगी।
संविधान ( 17 वाँ संशोधन ) अधिनियम – इसके द्वारा नवीं अनुसूची में 44 अधिनियम जोड़े गये तथा सम्पत्ति के अधिकार को स्पष्ट किया गया । ( यदि भूमिका बनाये बाजार मूल्य बतौर मुआवजा न दिया जाए तो व्यक्तिगत हितों के लिए भू - अधिग्रहण प्रतिबंधित ।) संविधान ( 18 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1966 – इसके द्वारा अनुच्छेद 3 - क को जोड़कर यह प्रावधान किया गया कि संसद किसी राज्य का या संघ राज्य क्षेत्र के एक भाग का गठन कर सकती है तथा पंजाब को पुनर्गठित करके पंजाब एवं हरियाणा राज्य तथा हिमाचल संघ राज्य क्षेत्र की स्थापना की गयी । संविधान ( 19 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1966 – इसके द्वारा निर्वाचन न्यायाधिकरणो को समाप्त करके व्यवस्था की गयी कि निर्वाचन संबंधी विवादों को सीधे उच्च न्यायालय में दाखिल किया जा सकता है । संविधान ( 20 वाँ संशोधन ) अधिनियम – इसके द्वारा जिला न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा स्थानान्तरणों का वैधता प्रदान की गयी तथा अनुच्छेद 233-क जोड़ा गया। संविधान ( 21 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1967 – आठवीं अनुसूची के राजभाषा की सूची में सिन्धी भाषा को जोड़ा गया । (15 वीं भाषा के रूप में शामिल किया गया।) संविधान ( 22 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1969 – इसके द्वारा मेघालय राज्य की स्थापना की गयी तथा अनुच्छेद 244 - क , 371 - ख तथा 275 ( 1 - ख ) जोड़ा गया । (असम से अलग करके) संविधान ( 23 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1969 – इसके द्वारा अनुसूचित जातियों , अनुसूचित जनजातियों तथा आंग्ल भारतीय प्रतिनिधित्व के लिए लोकसभा तथा विधान सभाओ में आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष तक बढ़ाया गया । ( 1980 तक ) संविधान ( 24 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1971 – इसके द्वारा अनुच्छेद 13 में खण्ड ( 4 ) को जोड़कर तथा अनुच्छेद 368 को संशोधित करके संसद को संविधान संशोधन का असीमित अधिकार दिया गया । संविधान ( 25 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1971 – संपत्ति के मूल अधिकारों में कटौती - अनुच्छेद 39 ( ख ) या ( ग ) में वर्णित निदेशक तत्वों को प्रभावी करने के लिए बनाई गई किसी भी विधि को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि अनुच्छेद 14,19 और 31 द्वारा अभिनिश्चित अधिकारों का उल्लंघन के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती । संविधान ( 26 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1971 – इसके द्वारा भूतपर्व नरेशों के विशेषाधिकारों तथा प्रिवीपर्स के अधिकार को समाप्त किया गया । संविधान ( 27 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1971 - इसके द्वारा भारत के पूर्वी राज्यों का पुनर्गठन करके तीन नये राज्य मेघालय , मणिपुर तथा त्रिपुरा और दो संघ राज्य क्षेत्रों - मिजोरम तथा अरुणाचल प्रदेश का गठन किया गया तथा मणिपुर राज्य के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान किया गया और पूर्वोत्तर राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासन में सहयोग तथा समन्वय के लिए पूर्वोत्तर सीमान्त परिषद् की स्थापना की गयी । संविधान ( 28 वाँ संशोधन ) अधिनियम , – इस संशोधन द्वारा संसद को कुछ प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों की सेवा शर्तों में परिवर्तन करने तथा उनकी सेवाओं को समाप्त करने का अधिकार दिया गया तथा भारतीय नागरिक सेवा के अधिकारियों के विशेषाधिकारों को समाप्त किया गया । संविधान ( 29 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1972 - इस संविधान संशोधन द्वारा संविधान की 9 वीं अनुसूची में कुछ अधिनियमों को जोड़ा गया । ( केरल भू - सुधार अधिनियमों को ) संविधान ( 30 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1972 - इस संशोधन का उद्देश्य अनुच्छेद 133 का संशोधन करके उसमें निर्धारित 20,000 रुपये की मूल्यांकन परीक्षा समाप्त करना तथा उसके स्थान पर सिविल कार्यवाही में उच्चतम न्यायालय में अपील की व्यवस्था करना है । जो केवल उच्च न्यायालय के इस प्रमाण पत्र पर ही की जा सकेगी कि उस मामले में सामान्य महत्व की विधि का सारवान प्रश्न अंतर्ग्रस्त है और उच्च न्यायालय की राय में उस प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णय लिये जाने की आवश्यकता है । संविधान ( 31 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1972 – इस संशोधन के द्वारा लोकसभा के सदस्यों की संख्या 525 से बढ़ाकर 545 कर दी गई तथा केन्द्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व 25 से घटा कर 20 कर दिया गया । संविधान ( 32 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1973 - इसके द्वारा अनुच्छेद 371 - घ तथा 371 - ङ जोड़कर आन्ध्र प्रदेश के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान किया गया । संविधान ( 33 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1974 -- इसके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 101 तथा 191 में संशोधन करके यह व्यवस्था की गयी कि संसद या राज्य विधान मण्डलों के सदस्यों से बलपूर्वक त्यागपत्र नहीं दिलवाया जा सकता । संविधान ( 34 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1974 - इसके द्वारा नौवीं अनुसूची में कुछ अधिनियमों को जोड़ा गया । ( भू - सुधार तथा भू - पट्टेदारी को ) संविधान ( 35 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1974 – इसके द्वारा सिक्किम को सह - राज्य का दर्जा प्रदान किया गया । संविधान ( 36 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1975 - इस संशोधन द्वारा सिक्किम को भारत के साथ मिला लिया गया और उसे भारत का बाइसवा राज्य बनाया गया । संविधान ( 37 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1975 - संघ राज्य क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा तथा मन्त्रिपरिषद् के गठन की व्यवस्था की गयी । संविधान ( 38 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1975 - इसके द्वारा यह व्यवस्था की गयी कि राष्ट्रपति , राज्यपालों तथा उपराज्यपालों द्वारा घोषित आपात स्थिति वाले अध्यादेशों की वैधानिकता की जांच न्यायालय नहीं कर सकते । संविधान ( 39 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1975 - इस संशोधन द्वारा यह व्यवस्था की गयी कि राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , लोकसभा अध्यक्ष तथा प्रधानमंत्री के निर्वाचन को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती । इसे 44 वें संशोधन द्वारा समाप्त कर दिया गया है । संविधान ( 40 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1976 – इसके द्वारा नवीं अनुसूची में कुछ अधिनियमों को जोड़ा गया है । संविधान ( 41 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1976 - इस अनुच्छेद 316 ( 2 ) में संशोधन करके राज्यों के लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों तथा सदस्यों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष की गयी । संविधान ( 42 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1976 - इसके द्वारा संविधान में निम्नलिखित परिवर्तन किये गये ―
  • संविधान की उद्देशिका में " पंथनिरपेक्ष , समाजवादी तथा अखण्डता " शब्दों को जोड़ा गया ।
  • अनुच्छेद 31 - ग जोड़कर यह प्रावधान किया गया कि नीति निदेशक तत्त्वों को प्रभावी करने के लिए मूलाधिकार में संशोधन किया जा सकता है ।
  • भाग 4 - क तथा अनुच्छेद -51 क जोड़कर नागरिकों के 11 मूल कर्तव्यों का उल्लेख किया गया ।
  • लोकसभा तथा विधानसभाओं के कार्यकाल में एक वर्ष की वृद्धि किया गया।
  • संसद द्वारा किए गए संविधान संशोधन को न्यायालय में चुनौती देने से वर्जित है
  • केन्द्र को यह अधिकार दिया गया कि वह जब चाहे , तब राज्यों में केन्द्रीय सुरक्षा बलों को तैनात कर सकता है ।
  • संसद को यह अधिकार दिया कि वह यह निर्धारण कर सकती है की कौनसा पद लाभ का पद है।
  • यह प्रावधान किया गया कि संसद तथा राज्य विधान मण्डलों के लिए गणपूर्ति आवश्यक नही है
संविधान ( 43 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1977 – इसके द्वारा 42 वें संवैधानिक संशोधन की कुछ धाराओं को निरस्त किया गया ।
  • न्यायिक समीक्षा एवं रिट जारी करने के संदर्भ में उच्चतम न्यायालयों तथा उच्च न्यायालयों के न्याय क्षेत्र का पुनर्संयोजन ।
  • राष्ट्र विरोधी कार्यकलापों के संबंध में विधि बनाने की संसद की शक्ति हटा दी गई ।
संविधान ( 44 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1978 – इस संशोधन अधिनियम द्वारा निम्नलिखित प्रावधान किये गये ―
  • सम्पत्ति के मूलाधिकार को समाप्त करके इसे विधिक अधिकार बना दिया गया।
  • लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं की अवधि पुनः 5 वर्ष कर दी गयी ।
  • राष्ट्रपति के निर्वाचन सम्बन्धी विवाद को हल करने के लिए उच्चतम न्यायालय को अधिकार दिया गया ।
  • राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया कि वह मंत्रिमण्डल की सलाह , उसे दी गयी है , को पुनः मंत्रिमंडल के विचारार्थ वापस भेज सकता है तथा पुनः दी गई सलाह के लिए बाध्य होगा ।
  • राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपात की उद्घोषणा तभी करेगा , जब उसे कैबिनेट द्वारा लिखित सिफारिश की जाये।
  • राष्ट्रपति द्वारा घोषित आपात की उदघोषणा का अनुमोदन संसद द्वारा एक मास के अन्तर्गत किया जाना चाहिए।
  • राष्ट्रीय आपात की उदघोषणा ' आन्तरिक अशान्ति ' के आधार पर नहीं की जा सकती बल्कि ' सशस्त्र विद्रोह ' के कारण की जा सकती है
संविधान ( 45 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1980 - इसके द्वारा लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों , जनजातियों के आरक्षण में तथा आंग्ल भारतीयों के विशेष प्रतिनिधित्व के लिए दस वर्ष की वद्धि की गयी । ( 1990 तक ) संविधान ( 46 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1982 - इसके द्वारा कुछ वस्तुओं के सम्बन्ध में बिक्री कर की समान दरें और वसूली की एक समान व्यवस्था को अपनाया गया । संविधान ( 47 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1984 – इसके द्वारा संविधान की नौवीं अनुसूची में कुछ राज्यों के 14 भू - सुधार और अधिनियमों को जोड़ा गया । संविधान ( 48 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1984 - इसके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 365 ( 5 ) में परिवर्तन करके यह व्यवस्था की गई कि पंजाब में राष्ट्रपति शासन की अवधि को दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है । संविधान ( 49 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1984 – इसके द्वारा अनुच्छेद 244 तथा पांचवीं और छठी आनुसूची में संशोधन करके त्रिपुरा में स्वायत्तशासी जिला परिषद् की स्थापना का प्रावधान किया गया । संविधान ( 50 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1984 – इसके द्वारा अनुच्छेद 33 को पुनः स्थापित करके सुरक्षा बलो के मूलाधिकारों को प्रतिबन्धित किया गया । संविधान ( 51 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1984 - इस संशोधन द्वारा मेघालय , नगालैण्ड , अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम की अनुसूचित जनजातियों को लोकसभा में आरक्षण प्रदान किया गया तथा नगालैण्ड और मेघालय की विधानसभाओं में जनजातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी । संविधान ( 52 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1985 - इसके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 101 , 102 , 190 तथा 192 में संशोधन करके तथा संविधान में दसवीं अनुसूची को जोड़कर दल - बदल को रोकने के लिए कानून बनाया गया । संविधान ( 53 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1986 - इसके द्वारा मिजोरम को राज्य की श्रेणी में रखा गया तथा अनुच्छेद 371 - छ को जोड़कर मिजोरम राज्य के लिए विशेष व्यवस्था की गयी । ( इसकी विधान सभा के लिए न्यूनतम 40 सदस्यों की व्यवस्था ) संविधान ( 54 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1986 - इसके द्वारा उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन तथा सेवा शर्तों में सुधार किया गया । संविधान ( 55 वाँ संशोधन ) अधिनियम 1986 – इसके द्वारा अरुणाचल प्रदेश को राज्य की श्रेणी में रखा गया तथा अनुच्छेद 371 - ज को जोड़कर अरुणाचल प्रदेश के लिए विशेष व्यवस्था की गयी । ( इसकी विधानसभा सदस्यों की संख्या 30 निश्चित की गई । ) संविधान ( 56 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1987 -- इसके द्वारा गोवा को राज्य की श्रेणी में तथा दमन और दीव को गोवा से अलग करके संघ राज्य क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया । ( गोवा विधान सभा के सदस्यों की संख्या 30 निश्चित की गई । ) संविधान ( 57 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1987 – इसके द्वारा मेघालय , मिजोरम , नगालैण्ड तथा अरुणाचल प्रदेश की विधान सभाओं में जनजातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी । संविधान ( 58 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1987 - इसके द्वारा राष्ट्रपति को संविधान का प्रामाणिक हिन्दी संस्करण प्रकाशित करने के लिए अधिकृत किया गया । संविधान ( 59 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1988 - इस संशोधन के द्वारा राज्यों में राष्ट्रपति शासन को 3 वर्ष तक बढ़ाने की व्यवस्था की गयी । संविधान ( 60 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1988 - व्यवसाय , वृत्ति तथा रोजगारों पर करों की सीमा को 250 रु . प्रति वर्ष से बढ़ाकर 2500 रु . प्रतिवर्ष किया गया । संविधान ( 61 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1989 – इसके द्वारा अनुच्छेद 326 में संशोधन करके लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं के चुनाव में मतदान करने की न्यूनतम आयु 21 वर्ष से कम कर 18 वर्ष कर दी गयी । संविधान ( 62 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1989 - इसके द्वारा लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के आरक्षण तथा लोकसभा एवं विधानसभा में आंग्ल - भारतीयों के प्रतिनिधित्व में 10 वर्ष की और वृद्धि की गयी । ( 2000 ई . तक ) संविधान ( 63 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1990 - इसके द्वारा संविधान के 59 वें संशोधन की व्यवस्था को समाप्त किया गया । संविधान ( 64 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1990 - इसके द्वारा पंजाब में राष्ट्रपति शासन में वृद्धि की गयी । ( साढ़े तीन साल के लिए कर दिया गया ) संविधान ( 65 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1990 – इसके द्वारा अनुच्छेद 338 में संशोधन करके अनुसूचित जाति तथा जनजाति आयोग के गठन की व्यवस्था की गयी । संविधान ( 66 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1990 – इसके द्वारा संविधान की नौवीं अनुसूची में कुछ और अधिनियमों को जोड़ा गया । ( 55 भू - सुधार अधिनियमों को शामिल किया गया।) संविधान ( 67 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1990 – इसके द्वारा अनुच्छेद 356 में संशोधन करके पंजाब में राष्ट्रपति शासन की अवधि 4 वर्ष तक बढ़ायी गयी । संविधान ( 68 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1991 – इसके द्वारा अनुच्छद 356 संशोधन करके पंजाब में राष्ट्रपति शासन की अवधि 5 वर्ष तक बढ़ा दी गयी। संविधान ( 69 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1991 – इसके द्वारा संविधान में अनुच्छेद 239 क तथा 239 ख जोड़कर दिल्ली का नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली किया गया तथा इसके लिए 70 सदस्यीय विधान सभा तथा 7 सदस्यीय मंत्रिपरिषद् के गठन का प्रावधान किया गया। संविधान ( 70 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1992 – इसके द्वारा दिल्ली तथा पांडिचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधान सभाओं के सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में शामिल करने का प्रावधान किया गया। संविधान ( 71 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1992 – इसके द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में 3 और भाषाओं मणिपुरी , नेपाली तथा कोंकणी को जोड़ा गया ।
  • इसके साथ ही अनुसूचित भाषाओं की संख्या बढ़कर 18 हो गई ।
संविधान ( 72 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1992 – इसके द्वारा लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं के निर्वाचन क्षेत्रों के सीमांकन के लिए परिसीमन आयोग के गठन की व्यवस्था की गयी । संविधान ( 73 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1992 – इसके द्वारा संविधान में भाग 9 तथा अनुच्छेद 243 , 243 -- क से ण तथा अनुसूची 11 को जोड़कर सम्पूर्ण भारत में पंचायती राज की स्थापना का प्रावधान किया गया है । संविधान ( 74 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1993 – इसके द्वारा संविधान में भाग 9-क , अनुच्छेद 243 ( त से य छ तक ) और 12 वीं अनुसूची जोड़कर नगरीय स्थानीय शासन संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया गया तथा नगरपालिकाओं को 12 वीं अनुसूची में वर्णित कुल 18 विषयो पर विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई है। संविधान ( 75 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1994 – इसके द्वारा किरायेदारों और माकन मालिको के विवादों को सुलझाने हेतु राज्यो में ट्रिब्यूनलों के गठन की व्यवस्था की गई। संविधान ( 76 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1994 – इसके द्वारा संविधान की नौंवी अनुसूची में तमिलनाडु बैकवर्ड क्लासेस, शिड्यूल कास्ट्स एंड ट्राइब्स ( रिजर्वेशन ऑफ सीट्स इन एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस एंड अपॉयंटमेंट ऑफ पोस्ट्स फॉर सर्विसेज अंडर स्टेट एक्ट्स , स्टेट एक्ट्स ) 1993 में शामिल किया गया ।
  • इस संविधान संशोधन द्वारा तमिलनाडु में स्थित शिक्षण संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में 69 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी है । यह संशोधन अधिनियम 31 अगस्त , 1994 को प्रभावी हुआ ।
संविधान ( 77 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1995 – संविधान के अनुच्छेद 16 में एक नया उपखण्ड ( 4 क ) जोड़कर एक उपबंध किया गया है जिसके अनुसार राज्य के अधीन सेवाओं में पदोन्नति के लिए अनुसूचित जाति / जनजाति को आरक्षण प्रदान किया जा सकेगा । संविधान ( 78 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1995 – इसके द्वारा संविधान की नौंवीं अनुसूची में भूमि सुधार से संबंधित 27 अतिरिक्त अधिनियम जोड़ दिए गए ताकि उन्हें मूल अधिकारों के अतिक्रमण करने के आधार पर अमान्य नहीं किया जा सके ।
  • इस प्रकार 9 वीं अनुसूची में सम्मिलित अधिनियमों की कुल संख्या 284 हो गयी है ।
संविधान ( 79 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1999 – इसके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन कर 50 वर्ष के स्थान पर 60 वर्ष शब्द रखा गया है ।
  • इस प्रकार इस संशोधन के द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए लोकसभा एवं राज्य विधान सभाओं में आरक्षण की अवधि को तथा आंग्ल - भारतीय प्रतिनिधित्व को और 10 साल के लिए ( 2010 तक ) बढ़ाया गया ।
  • अब यह व्यवस्था संविधान लागू होने की तिथि से 60 वर्ष अर्थात् 2010 तक बनी रहेगी ।
संविधान ( 80 वाँ संशोधन ) अधिनियम – यह संशोधन 10 वें वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर किया गया था। जिसमें कुछ केन्द्रीय करों तथा शुल्कों में से होने वाली आय में से राज्यों को 29 प्रतिशत हिस्सा देने की सिफारिश की गई है ।
  • इस संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 269 के खण्ड ( 1 ) और ( 2 ) के स्थान पर नया खण्ड तथा अनुच्छेद 270 के स्थान पर नया अनुच्छेद रखा गया है जबकि अनुच्छेद 272 को समाप्त कर दिया गया है ।
  • यह संशोधन 1 अप्रैल , 1996 से लागू माना गया है ।
संविधान ( 81 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2000 – इस संशोधन के द्वारा अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा , जो उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई थी , को समाप्त कर दिया गया है ।
  • इस प्रकार अब एक वर्ष में न भरी जाने वाली बकाया रिक्तियों को एक पृथक वर्ग माना जाएगा और अगले वर्ष में भरा जाएगा , भले ही उसकी सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो ।
  • इसके लिए अनुच्छेद 16 में खण्ड ( 4 क ) के बाद एक नया खण्ड ( 4 ख ) जोड़ा गया है ।
संविधान ( 82 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2000 – इस संविधान संशोधन के द्वारा राज्यों को सरकारी नौकरियों में आरक्षित रिक्त स्थानों की भर्ती हेतु प्रोन्नतियों के मामले में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम प्राप्तांकों में छूट प्रदान करने की अनुमति प्रदान की गई है ।
  • इससे पूर्व उच्चतम न्यायालय के एक निर्णय के परिणामस्वरूप 1997 में इस छूट को वापस ले लिया गया था ।
संविधान ( 83 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2000 – इस संशोधन के तहत पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान न करने की छूट प्रदान की गई है ।
  • ध्यातव्य है कि अरुणाचल प्रदेश में कोई भी अनुसूचित जाति न होने के कारण उसे यह छूट प्रदान की गई है ।
संविधान ( 84 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2001 – इस संशोधन द्वारा लोकसभा तथा विधान सभाओं की सीटों की संख्या में वर्ष 2026 तक कोई परिवर्तन न करने का प्रावधान किया गया है । संविधान ( 85 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2001 – इस संशोधन द्वारा सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति / जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था किया गया है । ( परिणामस्वरूप वरिष्ठता का जून 1995 से प्रभावी मानने की व्यवस्था ) संविधान ( 86 वाँ संशोधन ) , अधिनियम 2002 – इस संशोधन द्वारा देश के 6 से 14 वर्ष आयु तक के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने संबंधी प्रावधान किया गया है , इसे अनुच्छेद 21 ( क ) के अन्तर्गत संविधान में जोड़ा गया है ।
  • इस अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 45 तथा अनुच्छेद 51 ( क ) में संशोधन किए जाने का प्रावधान है ।
संविधान ( 87 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2003 – इस संशोधन द्वारा परिसीमन में जनसंख्या का आधार 1991 की जनगणना के स्थान पर 2001 कर दी गई है । संविधान ( 88 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2003 – इस संशोधन द्वारा सेवाओं पर कर का प्रावधान किया गया है । संविधान ( 89 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2003 – इस संशोधन द्वारा अनुसूचित जनजाति के लिए पृथक् राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की व्यवस्था की गई है । संविधान ( 90 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2003 – इस संशोधन द्वारा असम विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों और गैर अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व बरकरार रखते हुए बोडोलैंड टेरीटोरियल कौंसिल क्षेत्र , गैर जनजाति के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा की व्यवस्था की गई है । संविधान ( 91 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2003 – दल बदल व्यवस्था में संशोधन , केवल सम्पूर्ण दल के विलय को मान्यता केन्द्र तथा राज्य में मंत्रिपरिषद् के सदस्य संख्या क्रमश : लोकसभा तथा विधान सभा की सदस्य संख्या का 15 प्रतिशत होगा ( जहाँ सदन की सदस्य संख्या 40-40 है , वहाँ अधिकतम सदस्य संख्या 12 होगी ) । संविधान ( 92 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2003 – इस संशोधन द्वारा संविधान की आठवी अनुसूची में बोडो , डोगरी , मैथिल और संथाली भाषाओं का समावेश करने के साथ ही अनुसूचित भाषाओं की कुल संख्या 22 हो गयी। संविधान ( 93 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2005 – इस संशोधन द्वारा शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति / जनजाति और अन्य पिछडे वर्गों के नागरिकों के दाखिले के लिए सी . टों के आरक्षण की व्यवस्था , संविधान के अनुच्छेद 15 की धारा 4 के प्रावधानों के अंतर्गत की गई है संविधान ( 94 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2006 – इस संशोधन द्वारा बिहार राज्य को एक जनजाति कल्याण मंत्री निऊक्त करने के उत्तरदायित्व से मुक्त कर दिया गया तथा इस प्रावधान को झारखण्ड एवं छत्तीसगढ़ राज्यो में लागू करने की व्यवस्था किया गया।
  • मध्यप्रदेश एवं आडिशा राज्य में यह प्रावधान पहले से ही लागू है।
संविधान ( 95 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2009 – इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 334 में संशोधन कर लोकसभा में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के आरक्षण तथा आंग्ल - भारतीयों को मनोनीत करने संबंधी प्रावधान को 10 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है , यानि 2020 तक के लिए बढ़ाया गया है । संविधान ( 96 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2011 – इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 8 में उड़िया के स्थान पर ओडिया हो गया है । संविधान ( 97 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2012 – इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 19 संशोधन तथा भाग - 9 - ख जुड़ा तथा इसके द्वारा सहकारी समितियों को एक संवैधानिक स्थान एवं संरक्षण प्रदान किया गया । संविधान ( 98 वाँ संशोधन ) अधिनियम 2013 – इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 371–ज में संशोधन द्वारा हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र को विकसित करने के लिए कर्नाटक के राज्यपाल की शक्तियों का विस्तार किया गया है । संविधान ( 99 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2014 – नए अनुच्छेद 124 क , 124 ख तथा 124 ग को संविधान के अनुच्छेद 124 के बाद शामिल किया गया । यह अधिनियम प्रस्तावित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के संघटन तथा अधिकार भी तैयार करता है। संविधान ( 100 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2015 – संविधान के प्रथम अनुसूची को 16 मई , 1974 को हस्ताक्षरित भू - सीमा के सीमांकन से समझौते तथा दिनांक 6 सितंबर , 2011 को हस्ताक्षरित उसके मूल - पत्र के अनुसरण में हानिकर आधिपत्य को बनाए रखते हुए तथा विदेशी अंतः क्षेत्र की अदला - बदली के माध्यम से भारत द्वारा राज्य क्षेत्र का हस्तांतरण करने के प्रयोजन को लागू करने के लिए संशोधित किया गया । इसके द्वारा भारत - बांग्लादेश भूमि हस्तांतरण किया गया है । संविधान ( 101 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2017 – 1 जुलाई , 2017 को संविधान के अनुच्छेद 246A , 269A , 279A को जोड़ा गया है तथा 268A को समाप्त कर दिया गया है । अनुच्छेद -248 , 249 , 250 , 268 , 269 , 270 , 271 , 286 , 366 , 368 छठी अनुसूची तथा सातवीं अनुसूची को संशोधित किया गया है । इस अधिनियम के द्वारा GST ( Goods and Service Tax ) अर्थात् वस्तु सेवा कर शामिल किया गया है । संविधान ( 102 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2018 – 11 अगस्त , 2018 को राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का संवैधानिक दर्जा दिया गया । संविधान ( 103 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2019 – 12 जनवरी , 2019 को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 % का आरक्षण देने का प्रावधान किया गया । संविधान ( 104 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2019 – 9 दिसंबर , 2019 को लोकसभा में पारित यह विधेयक अनुसूचित जातियों ( SC ) और अनुसूचित जनजातियों ( ST ) के आरक्षण से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करता है । यह विधेयक 25 जनवरी , 2030 तक 10 वर्षों के लिए बढ़ाने का प्रयास करता है । संविधान के लागू होने के बाद 70 वर्ष की अवधि के लिए यह प्रावधान लागू किया गया था । संविधान ( 105 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2019 – नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा ने 10 दिसम्बर , 2019 को तथा राज्यसभा में 11 दिसम्बर , 2019 को पारित कर दिया था । 12 दिसम्बर , 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने इसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी थी और यह विधेयक एक अधिनियम बन गया । 10 जनवरी , 2019 से यह अधिनियम प्रभावी भी हो गया । नागरिकता ( संशोधन ) अधिनियम , 2019 के द्वारा सन 1955 का नागरिकता कानून को संशोधित करके पाकिस्तान , बांग्लादेश , अफगानिस्तान से 31 दिसम्बर , 2014 के पूर्व भारत आए हुए हिन्दू , सिख , बौद्ध , जैन , पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता देने की व्यवस्था की गयी है ।
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भारतीय संविधान संशोधन क्या है ?

संविधान संशोधन से संबंधित प्रश्न लगभग सभी परीक्षाओ जैसे SSC , UPSC , RAILWAY , BANK इत्यादि परीक्षाओ में पूछे जाते है इस पोस्ट में संविधान में हुए संपूर्ण संशोधन के बारे में बताया गया है जिसमे विश्व के अन्य संविधानों के समरूप ही भारतीय संविधान में भी बदलती परीस्थितियों एवं आवश्यकताओं के अनुसार संशोधन या बदलाव करने का प्रावधान किया गया है ।

Table of Content :
भारतीय संविधान में कुल 126 संसोधन विधयेक का प्रस्ताव रखा गया है जिसमे अब तक 105 संशोधन को मंजूरी दिया गया है जो निम्नलिखित है।

संविधान के भाग 20 का अनुच्छेद 368 संसद को संविधान तथा इसकी प्रक्रियाओं को संशोधित करने की शक्तियाँ प्रदान करता है । अनुच्छेद 368 में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार संसद संविधान में नये उपबंध जोड़कर या किसी उपबंध को हटाकर या बदलकर संविधान में संशोधन कर सकती है । हालाँकि संसद संविधान के मूल प्रारूप या ढांचा से जुड़े प्रावधानों में संशोधन नहीं कर सकती है । मूल प्रारूप से जुड़े इस सिद्धांत को सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती वाद ( वर्ष 1973 ) में प्रतिपादित किया था ।

भारतीय संविधान में हुए संशोधन
संविधान ( पहला संशोधन ) अधिनियम , 1951 - इस संशोधन अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 15 , 19 , 85 , 87 , 174 , 176 , 314 , 342 , 374 और 376 में संशोधन किये गये तथा दो नये अनुच्छेद 31 - क तथा 31 - ख और नवीं अनुसूची को संविधान में अनुच्छेद 31 ( क ) को जोड़कर जमींदारी प्रथा के उन्मूलन को वैधानिकता प्रदान जोड़ा गया । इस संशोधन अधिनियम द्वारा . किये गये मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं -
  • अनुच्छेद 31 ( ख ) जोड़कर यह प्रावधान किया गया कि संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल किये गये अधिनियमों की वैधानिकता को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है ।
  • अनुच्छेद 19 ( 2 ) में संशोधन करके लोक व्यवस्था , विदेशी राज्यों से मैत्री सम्बन्ध तथा अपराध के उद्दीपन के आधार पर वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर रोक लगायी गयी ।
  • अनुच्छेद 15 ( 4 ) को जोड़कर सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए लोगों के सम्बन्ध में विशेष कानून निर्माण हेतु राज्य को अधिकार दिया गया ।
संविधान ( दूसरा संशोधन ) अधिनियम , 1952 - इस संशोधन अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 81 ( 1 ) ( ख ) में संशोधन करके 1951 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या निश्चित की गयी । संविधान ( तीसरा संशोधन ) अधिनियम , 1954 - इस अधिनियम द्वारा संविधान की सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची ( समवर्ती सूची ) की प्रविष्टि 33 में विस्तार किया गया , जिससे आवश्यकता पड़ने पर संघ सरकार आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन , आपूर्ति तथा वितरण के सम्बन्ध में कानून बना सके । संविधान ( चौथा संशोधन ) अधिनियम , 1955 - इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 31 , .31 - क तथा 305 में संशोधन करके यह व्यवस्था की गयी कि यदि राज्य सार्वजनिक प्रयोजन के लिए कानून द्वारा किसी व्यक्तिगत सम्पत्ति के अर्जन के लिए प्रतिकर निर्धारण का अधिकार प्राधिकारी को प्रदान कर दे , तो प्राधिकारी द्वारा निर्धारित प्रतिकर को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है । संविधान ( पांचवाँ संशोधन ) अधिनियम , 1955 - इस संविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 3 में संशोधन करके यह व्यवस्था की गयी कि राज्यों की सीमा में परिवर्तन करने के सम्बन्ध में राज्य विधान सभा को अपनी राय प्रकट करने का जो अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त है , उसके बारे में राय प्रकट करने का समय राष्ट्रपति द्वारा निश्चित कर दिया जाये और यदि राष्ट्रपति द्वारा विहित समय सीमा के अन्तर्गत राज्य विधान सभा अपनी राय न दे , तो संसद उस सम्बन्ध में कानून बना सकती है । संविधान ( छठवाँ संशोधन ) अधिनियम , 1956 - इसके द्वारा संविधान की सातवीं अनुसूची की प्रथम सूची ( संघ सूची ) में संशोधन करके एक नयी प्रविष्टि 92 - क को जोड़ा गया और इसके द्वारा केन्द्र को अन्तर्राज्यिक क्रय तथा विक्रय के सम्बन्ध में कानून बनाने का अधिकार दिया गया ।
  • इसके अतिरिक्त इस संशोधन द्वारा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि की गयी तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को उच्चतम न्यायालय में वकालत करने की अनुज्ञा दी गयी ।
संविधान ( सातवाँ संशोधन ) अधिनियम , 1956 - इसके द्वारा संविधान की प्रथम अनुच्छेद सूची में संशोधन करके राज्यों को 14 राज्यों तथा 6 संघ राज्य क्षेत्रों में पुनर्गठित किया गया । संविधान ( आठवाँ संशोधन ) अधिनियम 1960 - अनुसूचित जाति एवं जनजाति को आरक्षण व्यवस्था में विस्तार और आंग्ल भारतीय प्रतिनिधि की लोकसभा एवं विधानसभाओं में दस वर्ष के लिए वृद्धि अर्थात् 1970 ई . तक बढ़ा दिया गया । संविधान ( नौवाँ संशोधन ) अधिनियम , 1960 - इस संशोधन द्वारा भारत - पाकिस तान के मध्य भूमि हस्तान्तरण के लिए किये गये समझौते को कार्यान्वित करने के लिए भारत के भू - भाग को हस्तान्तरित करने का अधिकार दिया गया । संविधान ( दसवाँ संशोधन ) अधिनियम , 1961 - इस संशोधन के अंतर्गत भूतपूर्व पुर्तगाली अंत : क्षेत्रों दादरा एवं नगर हवेली को भारत में शामिल कर उन्हें केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया । संविधान ( 11 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1961– इस संशोधन द्वारा प्रावधान किया गया कि –
  • राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि निर्वाचक मण्डल अपूर्ण है , तथा
  • उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाना आवश्यक है ।
संविधान ( 12 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1962 - इस संशोधन द्वारा गोवा , दमन तथा दीव को भारत का संघ राज्य क्षेत्र घोषित किया गया । संविधान ( 13 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1962 - इसके द्वारा नगालैण्ड को राज्य की श्रेणी में रखकर संविधान की प्रथम अनुसूची में शामिल किया गया तथा संविधान में अनुच्छेद 371 - क को अन्तः स्थापित करके नागालैण्ड के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान किया गया । संविधान ( 14 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1962 - इसके द्वारा पाण्डिचेरी ( पुदुचेरी ) को भारत का अंग तथा संघ राज्य क्षेत्र में विधान सभा तथा मन्त्रिपरिषद् की स्थापना का अधिकार दिया गया और अनुच्छेद 239 - क जोड़कर पॉण्डिचेरी के लिए विधान सभा तथा मन्त्रिमण्डल के गठन हेतु प्रावधान किया गया । संविधान ( 15 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1963 - इसके द्वारा उच्च न्यायालयों की अधिकारिता में वृद्धि की गयी तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु को 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दिया गया । संविधान ( 16 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1963 – इस संशोधन द्वारा निम्नलिखित ―
  • राज्य की सम्प्रभुता तथा अखण्डता , की रक्षा हेतु राज्य मूलाधिकारों पर युक्तियुक्त निर्बन्धन लगा सकता है ,
  • किसी भी राज्य के भारत संघ पृथक होने तथा संघ को भंग करने के प्रयास को अवैध घोषित कर दिया।
  • संसद तथा राज्य विधान मण्डल के सदस्यों को भारत की अखण्डता बनाये रखने के तथा प्रभुत्व सम्पन्नता की रक्षा की शपथ ग्रहण करनी होगी।
संविधान ( 17 वाँ संशोधन ) अधिनियम – इसके द्वारा नवीं अनुसूची में 44 अधिनियम जोड़े गये तथा सम्पत्ति के अधिकार को स्पष्ट किया गया । ( यदि भूमिका बनाये बाजार मूल्य बतौर मुआवजा न दिया जाए तो व्यक्तिगत हितों के लिए भू - अधिग्रहण प्रतिबंधित ।) संविधान ( 18 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1966 – इसके द्वारा अनुच्छेद 3 - क को जोड़कर यह प्रावधान किया गया कि संसद किसी राज्य का या संघ राज्य क्षेत्र के एक भाग का गठन कर सकती है तथा पंजाब को पुनर्गठित करके पंजाब एवं हरियाणा राज्य तथा हिमाचल संघ राज्य क्षेत्र की स्थापना की गयी । संविधान ( 19 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1966 – इसके द्वारा निर्वाचन न्यायाधिकरणो को समाप्त करके व्यवस्था की गयी कि निर्वाचन संबंधी विवादों को सीधे उच्च न्यायालय में दाखिल किया जा सकता है । संविधान ( 20 वाँ संशोधन ) अधिनियम – इसके द्वारा जिला न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा स्थानान्तरणों का वैधता प्रदान की गयी तथा अनुच्छेद 233-क जोड़ा गया। संविधान ( 21 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1967 – आठवीं अनुसूची के राजभाषा की सूची में सिन्धी भाषा को जोड़ा गया । (15 वीं भाषा के रूप में शामिल किया गया।) संविधान ( 22 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1969 – इसके द्वारा मेघालय राज्य की स्थापना की गयी तथा अनुच्छेद 244 - क , 371 - ख तथा 275 ( 1 - ख ) जोड़ा गया । (असम से अलग करके) संविधान ( 23 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1969 – इसके द्वारा अनुसूचित जातियों , अनुसूचित जनजातियों तथा आंग्ल भारतीय प्रतिनिधित्व के लिए लोकसभा तथा विधान सभाओ में आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष तक बढ़ाया गया । ( 1980 तक ) संविधान ( 24 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1971 – इसके द्वारा अनुच्छेद 13 में खण्ड ( 4 ) को जोड़कर तथा अनुच्छेद 368 को संशोधित करके संसद को संविधान संशोधन का असीमित अधिकार दिया गया । संविधान ( 25 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1971 – संपत्ति के मूल अधिकारों में कटौती - अनुच्छेद 39 ( ख ) या ( ग ) में वर्णित निदेशक तत्वों को प्रभावी करने के लिए बनाई गई किसी भी विधि को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि अनुच्छेद 14,19 और 31 द्वारा अभिनिश्चित अधिकारों का उल्लंघन के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती । संविधान ( 26 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1971 – इसके द्वारा भूतपर्व नरेशों के विशेषाधिकारों तथा प्रिवीपर्स के अधिकार को समाप्त किया गया । संविधान ( 27 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1971 - इसके द्वारा भारत के पूर्वी राज्यों का पुनर्गठन करके तीन नये राज्य मेघालय , मणिपुर तथा त्रिपुरा और दो संघ राज्य क्षेत्रों - मिजोरम तथा अरुणाचल प्रदेश का गठन किया गया तथा मणिपुर राज्य के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान किया गया और पूर्वोत्तर राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासन में सहयोग तथा समन्वय के लिए पूर्वोत्तर सीमान्त परिषद् की स्थापना की गयी । संविधान ( 28 वाँ संशोधन ) अधिनियम , – इस संशोधन द्वारा संसद को कुछ प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों की सेवा शर्तों में परिवर्तन करने तथा उनकी सेवाओं को समाप्त करने का अधिकार दिया गया तथा भारतीय नागरिक सेवा के अधिकारियों के विशेषाधिकारों को समाप्त किया गया । संविधान ( 29 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1972 - इस संविधान संशोधन द्वारा संविधान की 9 वीं अनुसूची में कुछ अधिनियमों को जोड़ा गया । ( केरल भू - सुधार अधिनियमों को ) संविधान ( 30 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1972 - इस संशोधन का उद्देश्य अनुच्छेद 133 का संशोधन करके उसमें निर्धारित 20,000 रुपये की मूल्यांकन परीक्षा समाप्त करना तथा उसके स्थान पर सिविल कार्यवाही में उच्चतम न्यायालय में अपील की व्यवस्था करना है । जो केवल उच्च न्यायालय के इस प्रमाण पत्र पर ही की जा सकेगी कि उस मामले में सामान्य महत्व की विधि का सारवान प्रश्न अंतर्ग्रस्त है और उच्च न्यायालय की राय में उस प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णय लिये जाने की आवश्यकता है । संविधान ( 31 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1972 – इस संशोधन के द्वारा लोकसभा के सदस्यों की संख्या 525 से बढ़ाकर 545 कर दी गई तथा केन्द्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व 25 से घटा कर 20 कर दिया गया । संविधान ( 32 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1973 - इसके द्वारा अनुच्छेद 371 - घ तथा 371 - ङ जोड़कर आन्ध्र प्रदेश के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान किया गया । संविधान ( 33 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1974 -- इसके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 101 तथा 191 में संशोधन करके यह व्यवस्था की गयी कि संसद या राज्य विधान मण्डलों के सदस्यों से बलपूर्वक त्यागपत्र नहीं दिलवाया जा सकता । संविधान ( 34 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1974 - इसके द्वारा नौवीं अनुसूची में कुछ अधिनियमों को जोड़ा गया । ( भू - सुधार तथा भू - पट्टेदारी को ) संविधान ( 35 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1974 – इसके द्वारा सिक्किम को सह - राज्य का दर्जा प्रदान किया गया । संविधान ( 36 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1975 - इस संशोधन द्वारा सिक्किम को भारत के साथ मिला लिया गया और उसे भारत का बाइसवा राज्य बनाया गया । संविधान ( 37 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1975 - संघ राज्य क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा तथा मन्त्रिपरिषद् के गठन की व्यवस्था की गयी । संविधान ( 38 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1975 - इसके द्वारा यह व्यवस्था की गयी कि राष्ट्रपति , राज्यपालों तथा उपराज्यपालों द्वारा घोषित आपात स्थिति वाले अध्यादेशों की वैधानिकता की जांच न्यायालय नहीं कर सकते । संविधान ( 39 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1975 - इस संशोधन द्वारा यह व्यवस्था की गयी कि राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , लोकसभा अध्यक्ष तथा प्रधानमंत्री के निर्वाचन को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती । इसे 44 वें संशोधन द्वारा समाप्त कर दिया गया है । संविधान ( 40 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1976 – इसके द्वारा नवीं अनुसूची में कुछ अधिनियमों को जोड़ा गया है । संविधान ( 41 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1976 - इस अनुच्छेद 316 ( 2 ) में संशोधन करके राज्यों के लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों तथा सदस्यों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष की गयी । संविधान ( 42 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1976 - इसके द्वारा संविधान में निम्नलिखित परिवर्तन किये गये ―
  • संविधान की उद्देशिका में " पंथनिरपेक्ष , समाजवादी तथा अखण्डता " शब्दों को जोड़ा गया ।
  • अनुच्छेद 31 - ग जोड़कर यह प्रावधान किया गया कि नीति निदेशक तत्त्वों को प्रभावी करने के लिए मूलाधिकार में संशोधन किया जा सकता है ।
  • भाग 4 - क तथा अनुच्छेद -51 क जोड़कर नागरिकों के 11 मूल कर्तव्यों का उल्लेख किया गया ।
  • लोकसभा तथा विधानसभाओं के कार्यकाल में एक वर्ष की वृद्धि किया गया।
  • संसद द्वारा किए गए संविधान संशोधन को न्यायालय में चुनौती देने से वर्जित है
  • केन्द्र को यह अधिकार दिया गया कि वह जब चाहे , तब राज्यों में केन्द्रीय सुरक्षा बलों को तैनात कर सकता है ।
  • संसद को यह अधिकार दिया कि वह यह निर्धारण कर सकती है की कौनसा पद लाभ का पद है।
  • यह प्रावधान किया गया कि संसद तथा राज्य विधान मण्डलों के लिए गणपूर्ति आवश्यक नही है
संविधान ( 43 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1977 – इसके द्वारा 42 वें संवैधानिक संशोधन की कुछ धाराओं को निरस्त किया गया ।
  • न्यायिक समीक्षा एवं रिट जारी करने के संदर्भ में उच्चतम न्यायालयों तथा उच्च न्यायालयों के न्याय क्षेत्र का पुनर्संयोजन ।
  • राष्ट्र विरोधी कार्यकलापों के संबंध में विधि बनाने की संसद की शक्ति हटा दी गई ।
संविधान ( 44 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1978 – इस संशोधन अधिनियम द्वारा निम्नलिखित प्रावधान किये गये ―
  • सम्पत्ति के मूलाधिकार को समाप्त करके इसे विधिक अधिकार बना दिया गया।
  • लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं की अवधि पुनः 5 वर्ष कर दी गयी ।
  • राष्ट्रपति के निर्वाचन सम्बन्धी विवाद को हल करने के लिए उच्चतम न्यायालय को अधिकार दिया गया ।
  • राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया कि वह मंत्रिमण्डल की सलाह , उसे दी गयी है , को पुनः मंत्रिमंडल के विचारार्थ वापस भेज सकता है तथा पुनः दी गई सलाह के लिए बाध्य होगा ।
  • राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपात की उद्घोषणा तभी करेगा , जब उसे कैबिनेट द्वारा लिखित सिफारिश की जाये।
  • राष्ट्रपति द्वारा घोषित आपात की उदघोषणा का अनुमोदन संसद द्वारा एक मास के अन्तर्गत किया जाना चाहिए।
  • राष्ट्रीय आपात की उदघोषणा ' आन्तरिक अशान्ति ' के आधार पर नहीं की जा सकती बल्कि ' सशस्त्र विद्रोह ' के कारण की जा सकती है
संविधान ( 45 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1980 - इसके द्वारा लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों , जनजातियों के आरक्षण में तथा आंग्ल भारतीयों के विशेष प्रतिनिधित्व के लिए दस वर्ष की वद्धि की गयी । ( 1990 तक ) संविधान ( 46 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1982 - इसके द्वारा कुछ वस्तुओं के सम्बन्ध में बिक्री कर की समान दरें और वसूली की एक समान व्यवस्था को अपनाया गया । संविधान ( 47 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1984 – इसके द्वारा संविधान की नौवीं अनुसूची में कुछ राज्यों के 14 भू - सुधार और अधिनियमों को जोड़ा गया । संविधान ( 48 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1984 - इसके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 365 ( 5 ) में परिवर्तन करके यह व्यवस्था की गई कि पंजाब में राष्ट्रपति शासन की अवधि को दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है । संविधान ( 49 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1984 – इसके द्वारा अनुच्छेद 244 तथा पांचवीं और छठी आनुसूची में संशोधन करके त्रिपुरा में स्वायत्तशासी जिला परिषद् की स्थापना का प्रावधान किया गया । संविधान ( 50 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1984 – इसके द्वारा अनुच्छेद 33 को पुनः स्थापित करके सुरक्षा बलो के मूलाधिकारों को प्रतिबन्धित किया गया । संविधान ( 51 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1984 - इस संशोधन द्वारा मेघालय , नगालैण्ड , अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम की अनुसूचित जनजातियों को लोकसभा में आरक्षण प्रदान किया गया तथा नगालैण्ड और मेघालय की विधानसभाओं में जनजातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी । संविधान ( 52 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1985 - इसके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 101 , 102 , 190 तथा 192 में संशोधन करके तथा संविधान में दसवीं अनुसूची को जोड़कर दल - बदल को रोकने के लिए कानून बनाया गया । संविधान ( 53 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1986 - इसके द्वारा मिजोरम को राज्य की श्रेणी में रखा गया तथा अनुच्छेद 371 - छ को जोड़कर मिजोरम राज्य के लिए विशेष व्यवस्था की गयी । ( इसकी विधान सभा के लिए न्यूनतम 40 सदस्यों की व्यवस्था ) संविधान ( 54 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1986 - इसके द्वारा उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन तथा सेवा शर्तों में सुधार किया गया । संविधान ( 55 वाँ संशोधन ) अधिनियम 1986 – इसके द्वारा अरुणाचल प्रदेश को राज्य की श्रेणी में रखा गया तथा अनुच्छेद 371 - ज को जोड़कर अरुणाचल प्रदेश के लिए विशेष व्यवस्था की गयी । ( इसकी विधानसभा सदस्यों की संख्या 30 निश्चित की गई । ) संविधान ( 56 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1987 -- इसके द्वारा गोवा को राज्य की श्रेणी में तथा दमन और दीव को गोवा से अलग करके संघ राज्य क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया । ( गोवा विधान सभा के सदस्यों की संख्या 30 निश्चित की गई । ) संविधान ( 57 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1987 – इसके द्वारा मेघालय , मिजोरम , नगालैण्ड तथा अरुणाचल प्रदेश की विधान सभाओं में जनजातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी । संविधान ( 58 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1987 - इसके द्वारा राष्ट्रपति को संविधान का प्रामाणिक हिन्दी संस्करण प्रकाशित करने के लिए अधिकृत किया गया । संविधान ( 59 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1988 - इस संशोधन के द्वारा राज्यों में राष्ट्रपति शासन को 3 वर्ष तक बढ़ाने की व्यवस्था की गयी । संविधान ( 60 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1988 - व्यवसाय , वृत्ति तथा रोजगारों पर करों की सीमा को 250 रु . प्रति वर्ष से बढ़ाकर 2500 रु . प्रतिवर्ष किया गया । संविधान ( 61 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1989 – इसके द्वारा अनुच्छेद 326 में संशोधन करके लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं के चुनाव में मतदान करने की न्यूनतम आयु 21 वर्ष से कम कर 18 वर्ष कर दी गयी । संविधान ( 62 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1989 - इसके द्वारा लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के आरक्षण तथा लोकसभा एवं विधानसभा में आंग्ल - भारतीयों के प्रतिनिधित्व में 10 वर्ष की और वृद्धि की गयी । ( 2000 ई . तक ) संविधान ( 63 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1990 - इसके द्वारा संविधान के 59 वें संशोधन की व्यवस्था को समाप्त किया गया । संविधान ( 64 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1990 - इसके द्वारा पंजाब में राष्ट्रपति शासन में वृद्धि की गयी । ( साढ़े तीन साल के लिए कर दिया गया ) संविधान ( 65 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1990 – इसके द्वारा अनुच्छेद 338 में संशोधन करके अनुसूचित जाति तथा जनजाति आयोग के गठन की व्यवस्था की गयी । संविधान ( 66 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1990 – इसके द्वारा संविधान की नौवीं अनुसूची में कुछ और अधिनियमों को जोड़ा गया । ( 55 भू - सुधार अधिनियमों को शामिल किया गया।) संविधान ( 67 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1990 – इसके द्वारा अनुच्छेद 356 में संशोधन करके पंजाब में राष्ट्रपति शासन की अवधि 4 वर्ष तक बढ़ायी गयी । संविधान ( 68 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1991 – इसके द्वारा अनुच्छद 356 संशोधन करके पंजाब में राष्ट्रपति शासन की अवधि 5 वर्ष तक बढ़ा दी गयी। संविधान ( 69 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1991 – इसके द्वारा संविधान में अनुच्छेद 239 क तथा 239 ख जोड़कर दिल्ली का नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली किया गया तथा इसके लिए 70 सदस्यीय विधान सभा तथा 7 सदस्यीय मंत्रिपरिषद् के गठन का प्रावधान किया गया। संविधान ( 70 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1992 – इसके द्वारा दिल्ली तथा पांडिचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधान सभाओं के सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में शामिल करने का प्रावधान किया गया। संविधान ( 71 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1992 – इसके द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में 3 और भाषाओं मणिपुरी , नेपाली तथा कोंकणी को जोड़ा गया ।
  • इसके साथ ही अनुसूचित भाषाओं की संख्या बढ़कर 18 हो गई ।
संविधान ( 72 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1992 – इसके द्वारा लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं के निर्वाचन क्षेत्रों के सीमांकन के लिए परिसीमन आयोग के गठन की व्यवस्था की गयी । संविधान ( 73 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1992 – इसके द्वारा संविधान में भाग 9 तथा अनुच्छेद 243 , 243 -- क से ण तथा अनुसूची 11 को जोड़कर सम्पूर्ण भारत में पंचायती राज की स्थापना का प्रावधान किया गया है । संविधान ( 74 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1993 – इसके द्वारा संविधान में भाग 9-क , अनुच्छेद 243 ( त से य छ तक ) और 12 वीं अनुसूची जोड़कर नगरीय स्थानीय शासन संवैधानिक संरक्षण प्रदान किया गया तथा नगरपालिकाओं को 12 वीं अनुसूची में वर्णित कुल 18 विषयो पर विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई है। संविधान ( 75 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1994 – इसके द्वारा किरायेदारों और माकन मालिको के विवादों को सुलझाने हेतु राज्यो में ट्रिब्यूनलों के गठन की व्यवस्था की गई। संविधान ( 76 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1994 – इसके द्वारा संविधान की नौंवी अनुसूची में तमिलनाडु बैकवर्ड क्लासेस, शिड्यूल कास्ट्स एंड ट्राइब्स ( रिजर्वेशन ऑफ सीट्स इन एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस एंड अपॉयंटमेंट ऑफ पोस्ट्स फॉर सर्विसेज अंडर स्टेट एक्ट्स , स्टेट एक्ट्स ) 1993 में शामिल किया गया ।
  • इस संविधान संशोधन द्वारा तमिलनाडु में स्थित शिक्षण संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में 69 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी है । यह संशोधन अधिनियम 31 अगस्त , 1994 को प्रभावी हुआ ।
संविधान ( 77 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1995 – संविधान के अनुच्छेद 16 में एक नया उपखण्ड ( 4 क ) जोड़कर एक उपबंध किया गया है जिसके अनुसार राज्य के अधीन सेवाओं में पदोन्नति के लिए अनुसूचित जाति / जनजाति को आरक्षण प्रदान किया जा सकेगा । संविधान ( 78 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1995 – इसके द्वारा संविधान की नौंवीं अनुसूची में भूमि सुधार से संबंधित 27 अतिरिक्त अधिनियम जोड़ दिए गए ताकि उन्हें मूल अधिकारों के अतिक्रमण करने के आधार पर अमान्य नहीं किया जा सके ।
  • इस प्रकार 9 वीं अनुसूची में सम्मिलित अधिनियमों की कुल संख्या 284 हो गयी है ।
संविधान ( 79 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 1999 – इसके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन कर 50 वर्ष के स्थान पर 60 वर्ष शब्द रखा गया है ।
  • इस प्रकार इस संशोधन के द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए लोकसभा एवं राज्य विधान सभाओं में आरक्षण की अवधि को तथा आंग्ल - भारतीय प्रतिनिधित्व को और 10 साल के लिए ( 2010 तक ) बढ़ाया गया ।
  • अब यह व्यवस्था संविधान लागू होने की तिथि से 60 वर्ष अर्थात् 2010 तक बनी रहेगी ।
संविधान ( 80 वाँ संशोधन ) अधिनियम – यह संशोधन 10 वें वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर किया गया था। जिसमें कुछ केन्द्रीय करों तथा शुल्कों में से होने वाली आय में से राज्यों को 29 प्रतिशत हिस्सा देने की सिफारिश की गई है ।
  • इस संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 269 के खण्ड ( 1 ) और ( 2 ) के स्थान पर नया खण्ड तथा अनुच्छेद 270 के स्थान पर नया अनुच्छेद रखा गया है जबकि अनुच्छेद 272 को समाप्त कर दिया गया है ।
  • यह संशोधन 1 अप्रैल , 1996 से लागू माना गया है ।
संविधान ( 81 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2000 – इस संशोधन के द्वारा अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा , जो उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई थी , को समाप्त कर दिया गया है ।
  • इस प्रकार अब एक वर्ष में न भरी जाने वाली बकाया रिक्तियों को एक पृथक वर्ग माना जाएगा और अगले वर्ष में भरा जाएगा , भले ही उसकी सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो ।
  • इसके लिए अनुच्छेद 16 में खण्ड ( 4 क ) के बाद एक नया खण्ड ( 4 ख ) जोड़ा गया है ।
संविधान ( 82 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2000 – इस संविधान संशोधन के द्वारा राज्यों को सरकारी नौकरियों में आरक्षित रिक्त स्थानों की भर्ती हेतु प्रोन्नतियों के मामले में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम प्राप्तांकों में छूट प्रदान करने की अनुमति प्रदान की गई है ।
  • इससे पूर्व उच्चतम न्यायालय के एक निर्णय के परिणामस्वरूप 1997 में इस छूट को वापस ले लिया गया था ।
संविधान ( 83 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2000 – इस संशोधन के तहत पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान न करने की छूट प्रदान की गई है ।
  • ध्यातव्य है कि अरुणाचल प्रदेश में कोई भी अनुसूचित जाति न होने के कारण उसे यह छूट प्रदान की गई है ।
संविधान ( 84 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2001 – इस संशोधन द्वारा लोकसभा तथा विधान सभाओं की सीटों की संख्या में वर्ष 2026 तक कोई परिवर्तन न करने का प्रावधान किया गया है । संविधान ( 85 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2001 – इस संशोधन द्वारा सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति / जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था किया गया है । ( परिणामस्वरूप वरिष्ठता का जून 1995 से प्रभावी मानने की व्यवस्था ) संविधान ( 86 वाँ संशोधन ) , अधिनियम 2002 – इस संशोधन द्वारा देश के 6 से 14 वर्ष आयु तक के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने संबंधी प्रावधान किया गया है , इसे अनुच्छेद 21 ( क ) के अन्तर्गत संविधान में जोड़ा गया है ।
  • इस अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 45 तथा अनुच्छेद 51 ( क ) में संशोधन किए जाने का प्रावधान है ।
संविधान ( 87 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2003 – इस संशोधन द्वारा परिसीमन में जनसंख्या का आधार 1991 की जनगणना के स्थान पर 2001 कर दी गई है । संविधान ( 88 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2003 – इस संशोधन द्वारा सेवाओं पर कर का प्रावधान किया गया है । संविधान ( 89 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2003 – इस संशोधन द्वारा अनुसूचित जनजाति के लिए पृथक् राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की व्यवस्था की गई है । संविधान ( 90 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2003 – इस संशोधन द्वारा असम विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों और गैर अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व बरकरार रखते हुए बोडोलैंड टेरीटोरियल कौंसिल क्षेत्र , गैर जनजाति के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा की व्यवस्था की गई है । संविधान ( 91 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2003 – दल बदल व्यवस्था में संशोधन , केवल सम्पूर्ण दल के विलय को मान्यता केन्द्र तथा राज्य में मंत्रिपरिषद् के सदस्य संख्या क्रमश : लोकसभा तथा विधान सभा की सदस्य संख्या का 15 प्रतिशत होगा ( जहाँ सदन की सदस्य संख्या 40-40 है , वहाँ अधिकतम सदस्य संख्या 12 होगी ) । संविधान ( 92 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2003 – इस संशोधन द्वारा संविधान की आठवी अनुसूची में बोडो , डोगरी , मैथिल और संथाली भाषाओं का समावेश करने के साथ ही अनुसूचित भाषाओं की कुल संख्या 22 हो गयी। संविधान ( 93 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2005 – इस संशोधन द्वारा शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति / जनजाति और अन्य पिछडे वर्गों के नागरिकों के दाखिले के लिए सी . टों के आरक्षण की व्यवस्था , संविधान के अनुच्छेद 15 की धारा 4 के प्रावधानों के अंतर्गत की गई है संविधान ( 94 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2006 – इस संशोधन द्वारा बिहार राज्य को एक जनजाति कल्याण मंत्री निऊक्त करने के उत्तरदायित्व से मुक्त कर दिया गया तथा इस प्रावधान को झारखण्ड एवं छत्तीसगढ़ राज्यो में लागू करने की व्यवस्था किया गया।
  • मध्यप्रदेश एवं आडिशा राज्य में यह प्रावधान पहले से ही लागू है।
संविधान ( 95 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2009 – इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 334 में संशोधन कर लोकसभा में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के आरक्षण तथा आंग्ल - भारतीयों को मनोनीत करने संबंधी प्रावधान को 10 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है , यानि 2020 तक के लिए बढ़ाया गया है । संविधान ( 96 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2011 – इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 8 में उड़िया के स्थान पर ओडिया हो गया है । संविधान ( 97 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2012 – इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 19 संशोधन तथा भाग - 9 - ख जुड़ा तथा इसके द्वारा सहकारी समितियों को एक संवैधानिक स्थान एवं संरक्षण प्रदान किया गया । संविधान ( 98 वाँ संशोधन ) अधिनियम 2013 – इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 371–ज में संशोधन द्वारा हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र को विकसित करने के लिए कर्नाटक के राज्यपाल की शक्तियों का विस्तार किया गया है । संविधान ( 99 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2014 – नए अनुच्छेद 124 क , 124 ख तथा 124 ग को संविधान के अनुच्छेद 124 के बाद शामिल किया गया । यह अधिनियम प्रस्तावित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के संघटन तथा अधिकार भी तैयार करता है। संविधान ( 100 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2015 – संविधान के प्रथम अनुसूची को 16 मई , 1974 को हस्ताक्षरित भू - सीमा के सीमांकन से समझौते तथा दिनांक 6 सितंबर , 2011 को हस्ताक्षरित उसके मूल - पत्र के अनुसरण में हानिकर आधिपत्य को बनाए रखते हुए तथा विदेशी अंतः क्षेत्र की अदला - बदली के माध्यम से भारत द्वारा राज्य क्षेत्र का हस्तांतरण करने के प्रयोजन को लागू करने के लिए संशोधित किया गया । इसके द्वारा भारत - बांग्लादेश भूमि हस्तांतरण किया गया है । संविधान ( 101 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2017 – 1 जुलाई , 2017 को संविधान के अनुच्छेद 246A , 269A , 279A को जोड़ा गया है तथा 268A को समाप्त कर दिया गया है । अनुच्छेद -248 , 249 , 250 , 268 , 269 , 270 , 271 , 286 , 366 , 368 छठी अनुसूची तथा सातवीं अनुसूची को संशोधित किया गया है । इस अधिनियम के द्वारा GST ( Goods and Service Tax ) अर्थात् वस्तु सेवा कर शामिल किया गया है । संविधान ( 102 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2018 – 11 अगस्त , 2018 को राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का संवैधानिक दर्जा दिया गया । संविधान ( 103 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2019 – 12 जनवरी , 2019 को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 % का आरक्षण देने का प्रावधान किया गया । संविधान ( 104 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2019 – 9 दिसंबर , 2019 को लोकसभा में पारित यह विधेयक अनुसूचित जातियों ( SC ) और अनुसूचित जनजातियों ( ST ) के आरक्षण से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करता है । यह विधेयक 25 जनवरी , 2030 तक 10 वर्षों के लिए बढ़ाने का प्रयास करता है । संविधान के लागू होने के बाद 70 वर्ष की अवधि के लिए यह प्रावधान लागू किया गया था । संविधान ( 105 वाँ संशोधन ) अधिनियम , 2019 – नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा ने 10 दिसम्बर , 2019 को तथा राज्यसभा में 11 दिसम्बर , 2019 को पारित कर दिया था । 12 दिसम्बर , 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने इसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी थी और यह विधेयक एक अधिनियम बन गया । 10 जनवरी , 2019 से यह अधिनियम प्रभावी भी हो गया । नागरिकता ( संशोधन ) अधिनियम , 2019 के द्वारा सन 1955 का नागरिकता कानून को संशोधित करके पाकिस्तान , बांग्लादेश , अफगानिस्तान से 31 दिसम्बर , 2014 के पूर्व भारत आए हुए हिन्दू , सिख , बौद्ध , जैन , पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता देने की व्यवस्था की गयी है ।
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