राजस्थान इतिहास के महत्वपुर्ण काव्य
आज की पोस्ट हम राजस्थान इतिहास के महत्वपुर्ण काव्य के बारे में जानकारी लेकर आए है...1) हमीर महाकाव्य -: नयनचंद्र सूरी द्वारा रचित इस महाकाव्य में रणथंभौर के चैहान शासकों विशेषकर राव हमीर देव चैहान की वीरता एवं उसका अलाउद्धीन खिलजी के साथ हुए युद्ध का वर्णन हैं।
2) कान्हड़दे प्रबंध -: इस ग्रंथ के रचयिता जालौर रियासत के शासक अखैराज सोनगरा के दरबारी कवि पदमनाभ है इसमें जालौर के वीर सोनगरा चैहान शासक कान्हड़देवे व अलाउद्धीन खिलती के मध्य हुए युद्ध का वर्णन है।
3) पृथ्वीराज रासौ -: पिंगल में रचित इस महाकाव्य के रचयिता चंदबरदाई है इसमें अजमेर के अंतिम चैहान शासक पृथ्वीराज तृतीय के जीवन चरित्र एवं युद्धों का वर्णन है यह शौर्य-श्रृंगार, युद्ध प्रेम व जय-विजय का अनूठा चरित्र काव्य है।
4) बातां री फुलवारी -: आधुनिक काल के प्रसिद्ध राजस्थानी कथा साहित्यकार विजयदान देथा द्वारा रचित इस रचना में राजस्थानी लोक कलाओं का संग्रह किया गया।
5) मुहणौत नैणसी री ख्यात -: राजस्थान के अबुल फजल के नाम से प्रसिद्ध एवं जोधपुर महाराज जसवंतसिंह प्रथम के प्रसिद्ध दरबारी (दीवान) मुहणौत नैणसी द्वारा रचित इस ग्रंथ में राजस्थान के विभिन्न राज्यों के इतिहास (विशेषतः मारवाड़) एवं 17 वीं शताब्दी के राजपूत मुगल संबंधों पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है इसे जोधपुर का गजेटियर भी कहा जाता है।
6) मारवाड़ रा परगना री विगत -: मुहणौत नैणसी द्वारा रचित इस ग्रंथ में मारवाड़ रियासत के इतिहास पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है मारवाड़ रा परगना री विगत को राजस्थान का गजेटियर कहा जाता है।
7) पदमावत महाकाव्य -: मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा सन 1540 ई के लगभग रचित इस महाकाव्य में अलाउद्धीन खिलजी एवं मेवाड़ शासक रावल रतनसिंह के मध्य 1301 ई में हुए युद्ध का वर्णन है।
8) बीसलदेव रासो -: नरपति नाल्ह द्वारा रचित इस रासौ ग्रंथ से अजमेर के चैहान शासक बीसलदेव उर्फ विग्रहराज चतुर्थ एवं उनकी रानी (मालवा के राजा भोज की पुत्री) राजमति की प्रेमगाथा का वर्णन मिलता है।
9) वीरसतसई -: बूंदी के शासक महाराव रामसिंह हाड़ा के प्रसिद्ध दरबारी कवि सूर्यमल मिश्रण द्वारा रचित इस ग्रंथ से बूंदी के हाड़ा शासकों के इतिहास, उनकी उपलब्धियों व अंग्रेज विरेाधी भावना की जानकारी मिलती है (सूर्यमल मिश्रण की अन्य रचनाएं – बलवंत विलास, छंद मयूख, उम्मेदसिंह चरित्र व बुद्धसिंह चरित्र है।
10) चेतावनी रा चूंगट्या -: राजस्थान के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर केसरीसिंह बारहट ने इन दोहों के माध्यम से मेवाड़ा महाराणा फतेहसिंह को वर्ष 1903 के लाॅर्ड कर्जन के दिल्ली दरबार में जाने से रोका था।
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