उम्मीद है कि आप सहमत है?

 उम्मीद है कि आप सहमत है?

पूर्वी क्षितिज से रोज एक नया सूरज उदित होता है। सोये संसार को एक संजीवनी सी मिल जाती है। जीवन को सुचारू चलाने की जुगत में हर प्राणी अपने ध्येय के लिए जीवन-पथ पर निकल पड़ता है। कितना भी अच्छा सोचकर निकलो हररोज जीवन में वैसा नहीं होता है जैसा हम सोचते हैं।

जीवन में जब भी सबकुछ मनमाफिक नहीं हो रहा है तो ऊलजलूल दुःखी होकर रोने का कोई फायदा नहीं होगा। वक्त है, बरसती बारिशों की तरह बीत जाएगा; बस आम दुनियां से अलग सोचना शुरू करो। कुछ बातों पर विचार करो।

  • अगर बहुत जरूरी नहीं है तो आनन फानन में कोई निर्णय मत लो एक दो रात और बीत जाने दो। आपा संभालने के लिए कुछ वक्त जरूरी है।
  • कपोल कल्पना में जो अनावश्यक आशंकाएँ पाल रखी है वैसा बुरा आपके साथ कभी नहीं होगा। जड़ प्रकृति में भी अच्छा बदलाव होता है आपको तो नियति ने अपने रास्तों को चुनने और चलने की ताकत दी है।
  • निराशा के दौर में अपने आपको और अधिक व्यस्त कर दो भले आप कहीं बेगार कर रहे हो। चलायमान पानी साफ रहता है, चलायमान व्यक्ति कुंदन हृदय का हो जाता है।
  • जन्म कुण्डली के एक कोने में ही सबकुछ तलाश रहे हो तो ये गफलत कर रहे हो। कभी कभी अनजाने नए रास्ते आपको किसी बड़े समुद्र तक पहुंचा सकते हैं; कुएं की तलाश में रास्ता भटकने का रोना रोने का कोई फायदा नहीं।
  • दुनियां का बारह आना भाग रोजगार की तलाश में दुःखी है। उसमें से आठ आना भाग को पता ही नहीं कि तलाशना कहाँ और कैसे है। दुनियां की नजर में अपमानजनक शुरुआत वाले कितने रोजगार आज ईर्ष्या का विषय बन गए हैं। एक बार गरीबी में भी चक्रवर्ती सम्राट वाला ख्याल तो लाओ। बस, जिस दिन पहला कदम उठाओ उस दिन से अपने कार्यस्थली में ही जीवनानंद की तलाश करो। जीवन बदलता जरूर है। दूर मत जाओ, आपके गली मोहल्ले में भी ऐसी परीलोक कथाएं मिल जाएगी जो धरातल पर मूर्त हुई हैं।
  • छोटी बड़ी गलतियां आपसे पहले भी हुई है आगे भी होगी। उसकी चिन्ता मत करो। मन के कोने में जहां भी अँधेरा छा जाता है अपने भीतर आसमान में फैला उजास भरो। आपका जन्म आँसू बहाने के लिए नहीं आँसू पोंछने के लिए हुआ है।

छिछोरे, उथले, अनर्गल, अनुपयोगी प्रसंगों में उलझकर ऊर्जा खर्च करने के बजाय प्रतिदिन छोटे छोटे मुकाम हासिल करना ही सही रास्ता है। बिना दुःख दर्द की कोई जिन्दगी होती ही नहीं है। इतिहास के महान सम्राटों ने अपना सुख त्यागकर दुःख के रास्तों पर चलकर सुख तलाशा है।

उम्मीद करता हूँ आप सहमत हैं?

©अनिल कुमार

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