राजस्थान इतिहास
(अतिलघूरात्मक प्रश्न)
प्रश्न-1 "फड़"
उत्तर- किसी कपड़े पर लोक देवता का चित्रण कर के उसके माध्यम से ऐतिहासिक और पौराणिक कथा का प्रस्तुतीकरण किया जाना "फड" कहलाता है।
प्रश्न-2 "विगत"
उत्तर- विगत इतिहास परक ग्रंथ लेखन की शैली है। 'मारवाड़ रा परगना री विगत' इस शैली की प्रमुख रचना है।
प्रश्न-3 "बिहारी मल"
उत्तर- बिहारी जयपुर नरेश मिर्जा जयसिंह के दरबारी कवि थे जिन्होंने "बिहारी सतसई" नामक ग्रंथ की रचना की। यह हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इस ग्रंथ के प्रत्येक दोहे पर राजा जयसिंह बिहारी को एक अशर्फी देता था
प्रश्न-4 " चंदबरदाई"
उत्तर- चंदबरदाई पृथ्वीराज के समकालीन,उनके मित्र एवं राज कवि थे। "पृथ्वीराज रासो" नामक एक हिंदी और राजस्थान के प्रसिद्ध महाकाव्य के रचयिता के रूप में चंदबरदाई प्रसिद्ध हुए। चंद्र बरदाई भट्ट जाति के चारण कवि थे इन्हीं के प्रसिद्ध दोहे "चार बांस चौबीस गज" के अनुमान से पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी बाण से मोहम्मद गोरी को मारा था
(लघुरात्मक प्रश्न)
प्रश्न-5 "रूपायन संस्थान"
उत्तर- बोरुंदा गांव में (जोधपुर) 1960 में स्थापित संस्था "रुपयान" एक सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्था के रूप में कार्यरत है। राजस्थानी लोकगीतों,कथाओं एवं भाषाओं की परंपरागत धरोहर को खोज कर यह संस्था उन्हें क्रमबद्ध स्वरूप प्रदान कर रही है।
प्रश्न-6 राजस्थान में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं के नाम बताएं
उत्तर- 1961 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार यहां 73 प्रकार की बोलियां बोली जाती है। जिनमें मारवाड़ी,मेवाड़ी, मेवाती,हाडोती,ढूंढाड़ी आदि प्रमुख है।
प्रश्न-7 राजस्थानी लोक साहित्य की विशेषताएं बताएं..?
उत्तर- लोक साहित्य लिखित न होकर प्रायः मौखिक रूप से विकसित होता है। लोक साहित्य में लोक मानस की संस्कृति झलकती है। लोक साहित्य की शैली सरल और अलंकरण रहित होती है। लोक साहित्य में नैतिक मूल्यों और रीति-रिवाजों समायोजन होता है।
प्रश्न-8 "अरबी फारसी शोध संस्थान" उत्तर- अरबी फारसी शोध संस्थान की स्थापना "1978" में "टोंक" जिले में हुई। इस संस्था में अरबी और फारसी भाषाओं के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अनुसंधान कार्य करवाए जाते हैं।
प्रश्न-9 कन्हैयालाल सेठिया द्वारा रचित कृतियों के नाम बताएं।
उत्तर-
1. "पाथल और पीथल"
2. "धरती धोरां री"
3. " जमीन रो धणी कुण"
(अतिलघुरात्मक & लघुरात्मक प्रश्न)
प्रश्न-10 राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की उपलब्धियों का विवेचन कीजिए
उत्तर- राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की स्थापना 1957 में जोधपुर में की गई। इस अकादमी का मुख्य लक्ष्य भारतीय नृत्य,नाटक एवं संगीत का परिपोषण एवं उन्नयन के साथ भारतीय संस्कृति को सुदृढ़ करना है।
नृत्य,नाटक एवं संगीत के विभिन्न विचारों तथा तकनीक के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना
राजस्थान में रंगमंचों की स्थापना एवं विकास को प्रोत्साहित करना
नृत्य,नाटक एवं संगीत की शिक्षा का विकास करना। नृत्य,नाटक तथा संगीत के क्षेत्र में कार्यरत श्रेष्ठ संस्थाओं को सहायता प्रदान करना।नये नाटकों के सृजन को पुरस्कार के रूप में सहायता देकर प्रोत्साहित करना।
लक्ष्यों के उन्नयन हेतु संस्था के लिए जमीन खरीद, रहन एवं संपत्ति निष्पादन का पूर्ण अधिकार अकादमी को होगा।