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समलैंगिकता क्या है:
इंसान की सेक्स में दिलचस्पी की कई वजहें होती हैं। इंसानों के बीच कई तरह से रिश्ते बनते हैं। यूं तो आज के दौर में होमोसेक्शुआलिटी को बहुत से समाजों में मान्यता मिलने लगी है। मगर एक दौर ऐसा भी था जब समलैंगिकता को नफ़रत की नज़र से देखा जाता था। इसे क़ुदरती नहीं माना जाता था।
भारत में तो प्राचीन काल में सेक्स को लेकर खुलकर चर्चा होती थी। मगर पश्चिमी देशों में आज आप सेक्स को लेकर जो खुलापन देख रहे हैं, वो ज़्यादा पुरानी बात नहीं है। ये सिर्फ़ पिछले सौ सालों में हुआ है।
वे पुरुष, जो अन्य पुरुषों के प्रति आकर्षित होते है उन्हें गे और जो महिला किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षित होती है उसे भी गे कहा जा सकता है लेकिन उसे आमतौर पर लेस्बियन कहा जाता है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो पुरुषों और महिलाओं दोनों की तरफ आकर्षित होते हैं वो हेट्रोसेक्सुअल भी होते हैं ऐसे लोगं को बाई-सेक्सुअल भी कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर किसी को खाने में वेज पसंद होता है, तो किसी को नॉनवेज। एक इंसान ऐसा भी होता है, जिसे वेज और नॉनवेज दोनों पसंद होता है।
समलैंगिकता के लक्षण:
समलैंगिकता के लक्षण ऐसे व्यक्ति जब भी सेक्स से जुड़ी बातें सोचते हैं तो उनके ख्याल में समान सेक्स वाला ही लड़का या लड़की आती है। सिर्फ ख्यालों में ही नहीं सपनों में भी।ये लक्षण जन्मजात होने के कारण इसमें बदलाव लाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। ऐसे इंसाने में बदलाव तभी हो सकता है जब वो इंसान खुद बदलाव चाहे, वो भी बिना किसी दबाव के। लेकिन किसी तरह के दबाव में बदलाव होना बेमानी सी बात है।
अगर कोई समलैंगिक है या उभयलिंगी है तो उसमें उस इंसान का कोई क़सूर नहीं है बल्कि उसकी ये ख्वाहिश उतनी ही सामान्य है जितना हेटरोसेक्शुआलिटी जिसे हम सामान्य यौन संबंध कहकर समाज में मान्यता देते हैं। समलैंगिकता एक मानसिक विकार नहीं है।
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नोट: सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर कर किया हुआ है। हमारा संविधान सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है।